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8 नवंबर 2016 भारत के इतिहास में एक चौंकाने वाली तारीख है। इसी दिन रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए नोटबंदी का ऐलान किया था. इसके बाद 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद कर दिए गए। इसके बजाय सरकार ने पहली बार 2000 रुपए का नोट पेश किया।
अब करीब 7 साल बाद 2000 रुपए के नोट पर भी रोक लगा दी गई है। सोशल मीडिया पर इस फैसले की तुलना नोटबंदी से की जा रही है. क्या वाकई नोटबंदी है? आइए जानते हैं कि तब और अब के फैसले में क्या अंतर है।
क्या अंतर है: साल 2016 में 8 नवंबर 2016 को रात 12 बजे से सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोट बंद कर दिए थे. हालांकि इस फैसले में 2000 रुपये के नोट पर इस तरह की कोई पाबंदी नहीं है. अगर आपके पास 2000 रुपए के नोट हैं तो आप उन्हें पहले की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।
2016 की नोटबंदी के दौरान सरकार ने 500 और 1000 के पुराने नोटों को बदलने के लिए जो समय सीमा दी थी वह कम अवधि की थी। हालांकि, बाद में सरकार ने इस समयसीमा को बढ़ा दिया था। सरकार ने इस बार 2000 रुपये के नोट को 30 सितंबर 2023 तक बदलने का मौका दिया है.
2016 की नोटबंदी के बाद 500 के नए नोट जरूर आए थे, लेकिन 1000 रुपए के नोट पूरी तरह से बंद हो गए। इस बार 2000 रुपए के नोट को पूरी तरह से बंद करने की योजना है।
2000 के नोट पर सरकार का फैसला: इस मूल्यवर्ग के नोट बैंकों में 23 मई से बदले जा सकते हैं। आरबीआई ने बैंकों से 30 सितंबर तक इन नोटों को जमा करने और बदलने की सुविधा देने को कहा है। हालांकि, एक बार में सिर्फ 20,000 रुपये के नोट ही बदले जा सकेंगे। इसके साथ ही आरबीआई ने बैंकों से तत्काल प्रभाव से 2,000 रुपए के नोट देना बंद करने को कहा है।