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इस वर्ष गंगा दशहरा ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि 30 मई को मनाया जाएगा। इस दिन सिद्धि योग में स्नान और दान का विशेष महत्व है। गंगा दशहरा को गंगावतरण अर्थात गंगा का अवतरण भी कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित संतोष त्रिपाठी ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा का अवतरण हुआ था. इस दिन मां गंगा की पूजा करने और स्नान-ध्यान करने से विशेष लाभ मिलता है। इसके साथ ही इस दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन गंगा में स्नान करने से 10 प्रकार के विकार नष्ट हो जाते हैं। मुक्ति और मोक्ष का लाभ मिलता है।
शुभ मुहूर्त : दशमी तिथि 29 मई को सुबह 11 बजकर 49 मिनट से शुरू होगी, जबकि इसका समापन 30 मई को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट पर होगा।
सिद्धि योग : सिद्धि योग 29 मई को रात 9.01 बजे से शुरू होगा। जबकि सिद्धि योग का समापन 30 मई को रात 8.55 बजे होगा।
शिवालयों में विशेष पूजा होगी
गंगा दशहरा पर साकची शिव मंदिर सहित मुख्य शिवालयों में विशेष पूजा होगी। शिवालय में गंगा जलाभिषेक के बाद अमृत मृत्युंजय का जाप करने के साथ स्वास्थ्य और लंबी आयु की प्रार्थना करनी चाहिए। पंडित संतोष त्रिपाठी ने बताया कि गंगा दशहरा के दिन गंगा या पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. घी में लिपटा हुआ तिल और गुड़ पानी में डालकर या पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। इसके बाद मां गंगा का ध्यान करें और उनकी पूजा करें। मंत्र जाप करें।
पूजन सामग्री की संख्या 10 रखना शुभ होता है
इस दिन पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री की संख्या दस रखें। विशेष रूप से दीपकों की संख्या दस होनी चाहिए। पूजा के बाद दस ब्राह्मणों को दान दें। स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद मां गंगा के मंत्रों का जाप करें। पूजा के बाद किसी गरीब या ब्राह्मण को दान दें।