OMG! अंग्रेजों के जमाने में यहां जलाए जाते थे नोट…आज भी मौजूद है भट्टी और चिमनी


हरिकांत शर्मा/आगरा : 2000 रुपए के नोट के बंद होने से एक बार फिर नोट की चर्चा शुरू हो गई है। हालांकि, घबराने की जरूरत नहीं है, आरबीआई ने बैंकों में 2000 रुपये के नोट जमा करने के लिए 4 महीने का समय दिया है। लेकिन जब साल 2016 में नोटबंदी हुई तो काले धंधे से जुड़े लोग 500 और 1000 रुपये के नोटों को अजीबोगरीब तरीके से डिस्पोज कर रहे थे. यह भी अफवाह थी कि लोग नोट जला रहे हैं।

आज हम आपको आगरा की एक ऐसी जगह दिखाने जा रहे हैं, जहां कई सालों तक उस जमाने के नोट और करेंसी जलाए गए थे। इस भट्टी में सालों तक नोट जलते रहे। यह स्थान आज भी छीपिटोला एसबीआई बैंक परिसर में मौजूद है। कटे-फटे नोटों को जलाने के लिए इस जगह पर चिमनी बनाई गई थी। करीब 15 फीट ऊंचाई की चिमनी के नीचे भट्टी थी। जमा किए गए खराब नोटों को भट्टी में फेंक दिया गया।

सन् 1934 तक भट्ठा जलता रहा
आगरा छीपिटोला की एसबीआई शाखा में ऐतिहासिक चिमनी आज भी है। इतिहासकारों के अनुसार ब्रिटिश शासन काल में आगरा में बैंकिंग व्यवस्था बहुत सुदृढ़ थी। यहां इंडियन इम्पीरियल बैंक कटे-फटे नोटों को जलाने के लिए नोट जमा करता था और कई सालों तक यहां नोटों को जलाने का काम किया जाता था. नोटों को जलाने के लिए एक भट्टी और चिमनी भी बनाई गई थी, जो आज भी मौजूद है. उस चिमनी पर साफ लिखा है कि 1934 तक अंग्रेजों ने यहां नोट जलाए थे। बाद में इस भट्टी को जयपुर शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन, आज भी यह भट्टी और चिमनी परिसर में है। आज यह एसबीआई बैंक की सबसे बड़ी शाखा है।

तवारीख-ए-आगरा पुस्तक में उल्लेख
आगरा के मशहूर इतिहासकार राज किशोर राजे ने भी अपनी किताब तवारीख-ए-आगरा में इस जगह और घटना का जिक्र किया है। उनका कहना है कि ब्रिटिश शासन के दौरान आगरा बैंकिंग का प्रसिद्ध केंद्र था। यहां कटे-फटे नोटों को जलाने का काम इंडियन इंपीरियल बैंक करता था। इस भट्टी और चिमनी के रखरखाव की जिम्मेदारी पर्यटन की है। कुछ साल पहले भी इस भट्टी का जीर्णोद्धार पर्यटन विभाग द्वारा कराया जा चुका है।

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पहले प्रकाशित : 21 मई, 2023, शाम 7:18 बजे IST



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